Untold History Never Shared

 



मुरूदेश्वर शिव मंदिर की ऊंचाई 249 फीट है, जबकि कुतुबमीनार की ऊंचाई 238 फीट है! कन्दुका पहाड़ी पर, तीन ओर से पानी से घिरा यह मुरुदेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यहाँ भगवान शिव का आत्म लिंग स्थापित है, जिस की कथा रामायण काल से है। अमरता पाने हेतु रावण जब शिव जी को प्रसन्न करके उनका आत्मलिंग अपने साथ लंका ले जा रहा था। तब रास्ते में इस स्थान पर आत्मलिंग धरती पर रख दिए जाने के कारण स्थापित हो गया था। गुस्से में रावण ने इसे नष्ट करने का प्रयास किया उस प्रक्रिया में, जिस वस्त्र से आत्म लिंग ढका हुआ था वह म्रिदेश्वर जिसे अब मुरुदेश्वर कहते हैं में जा गिरा। इस की पूरी कथा शिव पुराण में मिलती है। राजा गोपुरा या राज गोपुरम विश्व में सब से ऊँचा गोपुरा माना जाता है। यह 249 फीट ऊँचा है। इसे एक स्थानीय व्यवसायी ने बनवाया था। द्वार पर दोनों तरफ सजीव हाथी के बराबर ऊँची हाथी की मूर्तियाँ देखी जा सकती हैं। मुरुदेश्वर मंदिर के बाहर बनी शिव भगवान की मूर्ति विश्व की दूसरी सबसे ऊँची शिव मूर्ति है और इसकी ऊँचाई 123 फीट है। अरब सागर में बहुत दूर से इसे देखा जा सकता है। इसे बनाने में दो साल लगे थे और शिवमोग्गा के काशीनाथ और अन्य मूर्तिकारों ने इसे बनाया था। इसका निर्माण उसी स्थानीय श्री आर एन शेट्टी ने करवाया और लगभग 5 करोड़ भारतीय रुपयों की लागत आई थी। मूर्ति को इस तरह बनवाया गया है कि सूरज की किरणे इस पर पड़ती रहें और यह चमकती रहे।  


लेकिन इतिहास में जब भी ऊंची इमारतों की बात आयी तो केवल कुतुबमीनार का ही महिमामंडल देखने को मिला‌!  कहीं भी इस मंदिर का कोई जिक्र तक नहीं, क्योंकि बचपन से ही हमें मनगढ़ंत वामपंथी इतिहास ही पढाया और परोसा जाता रहा है.!

#Truthofindianhistory

Comments

Unknown said…
Good To See The Details.. Can We Have More Information On different Mandir's

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